तबादला स्पेशल रिपोर्ट
रायडर: कारागार विभाग में स्थानांतरण नीति की उड़ी धज्जियां
अधीक्षक के तबादलों में दिखा मुख्यमंत्री की फटकार का असर!
विभाग के सिर्फ एक वरिष्ठ अधीक्षक समेत नौ अधीक्षकों का हुआ तबादला
अस्थाई ड्यूटी पर भेजे गए तीन अधीक्षक उन्हीं जेलों पर हुए समायोजित
पुनीत संदेश
लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के तबादलों में सरकार की स्थानांतरण नीति की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अधिकारियों को हटाने के बजाय एक साल पहले स्थानांतरित किए गए अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। अधीक्षक संवर्ग के तबादलों में मुख्यमंत्री की फटकार का असर देखने को जरूर मिला लेकिन कहा जा रहा है कि यह तो ट्रेलर है पिक्चर तो अभी बाकी है। दिखावे में संवर्ग के करीब 10 प्रतिशत तबादले ही किए गए किंतु जल्दी ही दर्जन भर से अधिक और तबादले होने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। इन तबादलों की सेटिंग गेटिंग का खेल ट्रांसफर लिस्ट जारी होने से पहले ही तय हो चुका है।
शनिवार की देर रात कारागार विभाग के अधीक्षक संवर्ग की स्थानांतरण सूची जारी की गई। इस सूची में बुलंदशहर के वरिष्ठ अधीक्षक राजेंद्र कुमार जायसवाल को लखनऊ जिला जेल, अमित चौधरी को एटा जेल से फिरोजाबाद, कोमल मंगलानी को मैनपुरी से बुलंदशहर, अमन कुमार सिंह को रायबरेली से हरदोई, प्रभात कुमार को महराजगंज से रायबरेली, भीमसेन मुकुंद को फतेहगढ़ से कन्नौज, सौरभ श्रीवास्तव को सोनभद्र से वाराणसी जिला जेल, शशांक पांडेय को चित्रकूट से एटा जेल और नव प्रोन्नत अधीक्षक शिव प्रताप मिश्रा को गोंडा से बस्ती जेल स्थानांतरित किया गया है। शासन की इस सूची में सिर्फ नौ जेल अधीक्षकों का ही तबादला किया गया है।
सूत्र बताते है कि तबादलों को लेकर बीते दिनों कारागार मुख्यालय के तत्कालीन आईजी जेल और विभागीय मंत्री के बीच तकरार हो गई थी। विभागीय मंत्री के निर्देश पर शासन की ओर से एक पत्र जारी किया गया। इस पत्र में निर्देश दिया गया कि विभाग के समुह क, ख, ग, घ के समस्त तबादलों की सूची विभागीय मंत्री से विचार विमर्श और उनके अनुमोदन के बाद ही जारी की जाएगी। इस निर्देश के चलते तत्कालीन विभागाध्यक्ष के तबादला करने से मंसूबों पर पानी फिर गया। रिटायरमेंट से एक दिन पहले आईजी जेल ने मुख्यमंत्री से मिलकर तबादलों को लेकर की जा रही मनमानी की शिकायत की। सूत्र बताते है कि तत्कालीन आईजी जेल की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने विभागीय मंत्री को तलब किया और निर्देश दिया कि विभाग में अधिकारियों के 10 और कर्मियों के 20 प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जाएंगे। इस निर्देश कन्याओं में रखकर शनिवार की देर रात अधीक्षक संवर्ग की सूची में सिर्फ नौ अधीक्षकों के ही तबादले किए गए। इतनी कम संख्या में हुए विभागीय अधिकारियों को रास नहीं आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि सत्र समाप्त होने के बाद भी तबादलों का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है। एक दर्जन नव प्रोन्नत अधीक्षकों के साथ अन्य अधीक्षकों के तबादले होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। उधर इस संबंध में जब कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।
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चार अधीक्षक 'पैकेज' पर पहुंचे कमाऊ जेल!
अधीक्षक संवर्ग की स्थानांतरण सूची विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा है कि सूची में चार तबादले मोटे पैकेज पर किए गए है। मैनपुरी जेल अधीक्षक कोमल मंगलानी को बुलंदशहर जेल, एटा जेल अधीक्षक को फिरोजाबाद जिला जेल और चित्रकूट जेल अधीक्षक शशांक पांडेय को मैनपुरी जेल और बस्ती की महिला अधीक्षक अंकेशहित श्रीवास्तव को एटा जेल पर स्थानांतरित किया गया है। पश्चिम की यह चारों जेल कमाऊ जेल बताई जा रही हैं। विभाग में चर्चा है कि आगरा जेल परिक्षेत्र के डीआईजी की मदद से इन चार जेल अधीक्षकों को कमाऊ जेलों पर तैनाती मिल पाई है। सूची में रायबरेली, वाराणसी और कन्नौज में अस्थाई ड्यूटी पर लगाए गए अधीक्षकों को उन्हीं जेलों पर समायोजित कर दिया गया है। एक नवप्रोन्नत अधीक्षक को स्थानांतरित भी किया गया तो उन्हें बस्ती मंडलीय कारागार भेजा गया है। जिस जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक की तैनाती होनी चाहिए थी उस जेल पर नव प्रोन्नत अधीक्षक को तैनात कर दिया गया है। इस जेल पर तैनात महिला अधीक्षक ने शासन को दिए आवेदन में लिखा था कि यह मंडलीय कारागार है इस पर वरिष्ठ अधीक्षक की तैनाती होनी चाहिए। इसलिए उसको यहां से हटा दिया जाए। यदि महिला अधीक्षक को इस आधार प्रभागीय गया तो शासन ने बस्ती जेल पर वरिष्ठ अधीक्षक के बजाए नव प्रोन्नत अधीक्षक को क्यों तैनात कर दिया। यह एक बड़ा सवाल है। विभागीय अफसर इस सवाल का जवाब देने से बचते नजर आए।
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प्रदीप गुप्ता कानपुर जेल परिक्षेत्र के नए डीआईजी बने
शासन ने शनिवार को आईपीएस प्रदीप गुप्ता को कानपुर जेल परिक्षेत्र का नया उप महानिरीक्षक कारागार नियुक्त किया है। अभी तक कानपुर जेल परिक्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार आगरा जेल परिक्षेत्र के डीआईजी प्रेमनाथ पांडे के पास था। शासन ने प्रेमनाथ पांडे से कानपुर परिक्षेत्र का प्रभार हटाकर उन्हें आगरा जेल परिक्षेत्र के साथ डीआईजी मुख्यालय का प्रभार सौंपा है। इस नए परिवर्तन के बाद डीआईजी कारागार मुख्यालय प्रेमनाथ पांडे राजधानी लखनऊ में बैठकर आगरा परिक्षेत्र के जेलों की निगरानी करेंगे। इससे पूर्व में डीआईजी मुख्यालय का प्रभार लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी के पास ही रहता रहा है। यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। वर्तमान समय में विभाग में चार आईपीएस और तीन विभागीय डीआईजी तैनात हैं। एक आईपीएस और एक विभागीय डीआईजी को छोड़कर सभी के पास दो-दो प्रभार हैं।
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3 साल वाले बरकरार, एक साल वालों का हुआ ट्रांसफर
कारागार विभाग के जेलर संवर्ग के तबादलों में बड़ा खेल किया गया है। तीन चार साल से एक ही स्थान पर जमे जेलरों का तबादला किया नहीं गया। वहीं एक साल पहले स्थानांतरित किए जेलरों का फिर से तबादला कर दिया गए। बेतरतीब तरीके से हुए तबादलों को लेकर जेलर संवर्ग के अधिकारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। मामला अनुशासन से जुड़ा होने की वजह से अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। मिली जानकारी के मुताबिक बलिया जेल पर तैनात जेलर का जेल पर करीब चार साल का कार्यकाल बीत चुका है। समयपूर्ण होने के बाद भी इसका तबादला नहीं किया गया। इसी प्रकार देवरिया जेल पर जेलर का भी तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया। यह तो बानगी है। इस प्रकार दर्जनों की संख्या में जो जेलर कार्यकाल पूरा कर चुके है उनका तबादला नहीं किया गया। जबकि बीते स्थानांतरण सत्र में स्थानांतरित किए गए करीब एक दर्जन जेलरों से उगाही करके उन्हें कमाऊ जेलों पर तैनात कर दिया गया है। कारागार मुख्यालय के आला अफसरों की तबादलों में हुई इस पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से काफी आक्रोश व्याप्त है। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी संगठन इस मामले को प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की जुगत में लगे हुए।
Created On: June 16, 2025