आईटीबी बर्लिन में दिख रही पर्यटन सामर्थ्य की झलक
अयोध्या, काशी, मथुरा, झांसी, लखनऊ के पर्यटन आकर्षणों को दर्शाया गया
राज्य में विदेशी पर्यटन बढ़ाने में आईटीबी बर्लिन की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
-जयवीर सिंह
पुनीत संदेश/वैशाली सिंह
लखनऊ। 04 मार्च, 2025।
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में उत्तर प्रदेश के वैभव की झलक दिख रही है। 04 मार्च से 06 मार्च तक चलने वाले आईटीबी बर्लिन में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से राज्य के पर्यटन आकर्षणों और क्षमताओं को विश्व समुदाय के समक्ष प्रदर्शित किया जा रहा है। यहां अयोध्या, काशी, मथुरा, झांसी, प्रयागराज, ललितपुर और प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व के साथ-साथ लखनऊ की प्रसिद्ध चिकनकारी सहित अन्य पर्यटन आकर्षणों को दर्शाया गया है। आईटीबी बर्लिन में यूपी के स्टॉल पर बड़ी संख्या में लोग उमड़ रहे हैं। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।
जयवीर सिंह ने बताया कि बर्लिन में 40 वर्ग मीटर क्षेत्र में उत्तर प्रदेश पर्यटन का स्टॉल लगाया गया है। यहां प्रदेश की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के साथ हस्तशिल्प, ओडीओपी तथा प्रसिद्ध पर्व त्योहारों को दर्शाया गया है। आगंतुकों के लिए अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषा का भी प्रयोग किया गया है, ताकि लोगों को समझने में आसानी हो सके। डिजिटल स्क्रीन, एआर इंटरैक्टिव टच पैनल, सेल्फी जोन, वीवीआईपी लाउंज, रिसेप्शन काउंटर आदि बनाए गए हैं।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि आईटीबी बर्लिन में बैठकें तथा अंतरराष्ट्रीय टूर ऑपरेटरों, ट्रैवल एजेंटों और प्रमुख पर्यटन हितधारकों के साथ संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे। निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तुतियां और चर्चा की जाएंगी। साथ ही, भारतीय दूतावास के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय रोड शो आयोजित जाएंगे, जिनमें कम से कम 100 प्रतिभागी शामिल होंगे। रोड शो के माध्यम से पर्यटन आकर्षण, निवेश अवसरों, मौजूदा टूर पैकेजों आदि की जानकारी दी जाएगी।
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि विदेशी धरती पर आयोजित कार्यक्रम इनबाउंड टूरिज्म के लिए हितकारी सिद्ध होगा। कार्यक्रम में विकसित की जा रहीं साझेदारियां और निवेश संभावनाएं राज्य में पर्यटन वृद्धि और निवेश में महत्वपूर्ण योगदान देंगी। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आने वाले दिनों में इन प्रयासों से प्रदेश में विदेशी पर्यटन बढ़ेगा।
बाक्स
राज्य संग्रहालय में चिकनकारी पर नौ दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ
प्रशिक्षणार्थियों को वितरित की गई चिकनकारी की किट
लखनऊ की चिकनकारी अनमोल धरोहर-जयवीर सिंह
पुनीत संदेश
लखनऊ। 04 मार्च, 2025।
राज्य संग्रहालय, लखनऊ में चिकनकारी पर नौ दिवसीय कार्यशाला एवं व्याख्यान के प्रथम दिन वक्ताओं ने चिकनकारी पर अपने विचार रखे। कार्यशाला में लखनवी चिकनकारी के गौरवशाली इतिहास, वैश्विक बाजार में चिकनकारी की बढ़ती मांग और इस क्षेत्र में नई तकनीक के समावेश की जानकारी साझा की गई। राज्य संग्रहालय (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश), खादी ग्रामोद्योग बोर्ड एवं अवध चिकनकारी प्रॉड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला 12 मार्च तक चलेगी।
इससे पूर्व राज्य संग्रहालय, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) की निदेशक सृष्टि धवन ने कार्यशाला में प्रशिक्षण लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को चिकनकारी की किट का वितरण किया। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि आप सभी को इस कार्यशाला से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। 12 मार्च तक आप बहुत कुछ सीख कर जाएंगे।
मुख्य अतिथि दीनदयाल शोध संस्थान के महासचिव अतुल जैन ने बताया कि चिकनकारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं संचालित कर रही है, यह प्रशिक्षण उसी कड़ी का हिस्सा है। हम अपनी इस कला को वैश्विक बाजार में कैसे लाते हैं, इस पर ध्यान देना होगा।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली की पूर्व क्यूरेटर डॉ. अनामिका पाठक ने कशीदाकारी कला कौशल की कलात्मक अभिव्यक्ति और उपयोगिता विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने चिकनकारी के गौरवशाली इतिहास को अपनी प्रस्तुति के माध्यम से साझा भी किया। वहीं अवध चिकनकारी की निदेशक डॉ. मीना श्रीवास्तव ने बताया कि लखनवी चिकनकारी वस्त्रों की मांग ग्लोबल बाजार में बढ़ी है। केंद्र व प्रदेश सरकार के सहयोग से इसको उद्योग के रुप में स्थापित किया जा रहा है। कार्यशाला में आईटी इंस्टीट्यूट, दक्कन कॉलेज (पुणे), गोयल कॉलेज के विद्यार्थी और लखनऊ व कोलकाता के युवा उद्यमी भाग ले रहे हैं।
राज्य संग्रहालय की सहायक निदेशक मीनाक्षी खेमका ने बताया कि कार्यशाला में 51 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं। मास्टर ट्रेनर रानी सिद्दीकी और अरशी फातिमा ने कार्यशाला के प्रथम दिन प्रशिक्षणार्थियों को कपड़े पर चिकनकारी की बारीकियां सिखाईं।
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने राज्य संग्रहालय, लखनऊ में चिकनकारी की कार्यशाला के शुभारंभ पर अपने संदेश में कहा कि लखनऊ की चिकनकारी एक अनमोल धरोहर है, जिसे हमें न केवल संरक्षित रखना है, बल्कि उसे वैश्विक मंच पर भी पहचान दिलानी है। इस प्रकार की कार्यशालाएं न केवल कारीगरों को उनके हुनर में सुधार लाने का अवसर प्रदान करती हैं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करती हैं।
Created On: March 05, 2025