भूतपूर्व सैनिकों की वेतन सुरक्षा को लेकर विधान परिषद में उठा मुद्दा
सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश
पुनीत संदेश/अंकित राठौड़
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भूतपूर्व सैनिकों की वेतन सुरक्षा (पे प्रोटेक्शन) से जुड़ी समस्या को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया गया। विधान परिषद के सदस्य डॉ. आकाश अग्रवाल और राजबहादुर सिंह चंदेल ने सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत कर उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती अक्टूबर-2018 के द्वितीय और तृतीय बैच के भूतपूर्व सैनिक आरक्षियों को वेतन सुरक्षा का लाभ दिलाने की मांग की।
वेतन विसंगति को लेकर जताया रोष
विधान परिषद में चर्चा के दौरान कहा गया कि पुलिस भर्ती 2018 के प्रथम बैच के प्रशिक्षण प्राप्त भूतपूर्व सैनिकों को वेतन सुरक्षा का लाभ मिल रहा है, लेकिन द्वितीय और तृतीय बैच के प्रशिक्षित सैनिकों को इससे वंचित रखा गया है। यह विसंगति भूतपूर्व सैनिकों के साथ अन्याय है और इसे तत्काल दूर किया जाना चाहिए।
वित्त विभाग के शासनादेश का गलत असर
सरकार द्वारा भूतपूर्व सैनिकों की वेतन सुरक्षा को 23 दिसंबर 2020 के वित्त विभाग के शासनादेश के तहत बंद कर दिया गया, जबकि 2018 की भर्ती पर यह आदेश लागू नहीं होता। ऐसे में यह भूतपूर्व सैनिकों के साथ अन्यायपूर्ण स्थिति है, जिससे वे बेहद नाराज और आक्रोशित हैं।
भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति ने भी उठाई मांग
भूतपूर्व सैनिक जन कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष दीनबन्धु पांडेय और सचिव गोकरन प्रसाद ने भी सरकार से आवश्यक संशोधन करने और भूतपूर्व सैनिकों को उनका हक दिलाने की मांग की। समिति का कहना है कि भूतपूर्व सैनिकों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर मिलना चाहिए और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद वेतन विसंगतियों जैसी समस्याओं से बचाया जाना चाहिए।
लाइसेंस नवीनीकरण समेत अन्य समस्याओं पर भी चर्चा
वेतन विसंगति के अलावा भूतपूर्व सैनिकों के स्थानांतरण, लाइसेंस नवीनीकरण, जमीनों पर अवैध कब्जे और पे फिक्सेशन जैसी अन्य समस्याओं पर भी चर्चा की गई। भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति लंबे समय से इन मुद्दों को सरकार के सामने उठा रही है।
सरकार के कदमों पर टिकी निगाहें
अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है और भूतपूर्व सैनिकों की वेतन विसंगति को दूर करने के लिए कब तक आवश्यक निर्णय लेती है।
Created On: March 06, 2025