अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पावन अवसर पर विशेष...
कुसुम पाठक
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पावन अवसर पर मैं महिला योगशक्ति कुटुंब की संस्थापिका अध्यक्ष योगमित्र कुसुम पाठक अपने पुरुष भाइयों के विषय में कुछ कहना चाहती हूँ
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विश्व के सभी पुरुष भाइयों को हृदय से नमन करना चाहती हूँ जिन्होंने नारियों को सशक्त बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है चाहे वह पिता के रूप में,भाई के रूप में, जीवनसाथी के रूप में, पुत्र के रूप में, मित्र के रूप में या समाजसेवक के रूप में,इसके साथ ही साथ प्रत्येक उस नारी को भी वंदन करना चाहती हूँ जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया और उनका सम्मान किया, स्वर्गीय माताजी और पिताजी को को धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्होंने पढ़ाया लिखाया और एक अच्छी परवरिश की, जीवन साथी मनोज पाठक जी ने हमारे जीवन को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईl हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और खुद रीढ़ की हड्डी की तरह हमेशा पीछे खड़े रहे lहमारे भारतीय समाज में एक कहावत मुझे बचपन से हमेशा सुनने को मिलती थी हर कामयाब पुरुष के पीछे एक औरत का हाथ होता है चाहे वह माँ, बहन,भाभी, पत्नी, बेटी, मित्र जिस भी रूप में हो लेकिन एक स्त्री को आगे बढ़ने के लिए पुरुष के साथ और सम्मान की जरूरत होती है चाहे वह पुरुष पिता के रूप में हो, भाई के रूप में हो, पति के रूप में हो, पुत्र के रूप में हो तभी स्त्री अपनी शक्ति का परिचय पूरे समाज को दे पाती है यह कभी नहीं सुना
मन की कलम से कुछ पंक्तियाँ पुरुष भाइयों के लिए............
दिल के अंदर उदासी
चेहरे पर मुस्कान
यही होती है पुरुष होने की पहचान
कहने को यह आजाद है
कंधों पर जिम्मेदारी हजार है
अगर रोए तो कमजोर
ना रोए तो पत्थर दिल
ऐसे घुट- घुट कर जीना
उनके लिए भी है मुश्किल
फीलिंग्स इनकी भी होती है
कहना यह भी कुछ चाहते हैं
करना यह भी बहुत कुछ चाहते हैं
अपने घर -परिवार के लिए
प्यार यह भी करते हैं अपने घर परिवार को
लेकिन
कभी-कभी परिस्थितियों के मारे
नाकामयाबी इनके भी सारे रास्ते बंद कर देती है
हाँ,यह भी कभी रास्ता भटक जाते हैं
यह भी कभी लाचार होते हैं
पर सब की खुशी के लिए
हमेशा कुछ भी कहने से पहले सोचकर रुक जाते हैं
यही संदेश देना चाहूँगी प्रत्येक भारतीय को
स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं आपसी सहयोग के बिना दोनों का अस्तित्व असंभव है
स्त्री का सम्मान ही पुरुष की मर्दानगी है और पुरुष का सम्मान ही स्त्री की सुंदरता है
स्त्री- पुरुष ईश्वर की अनुपम कृति है, असमानता रखकर ना करो विकृत
Created On: March 10, 2025