काजल के पर्वत पर चढ़ना चढ़कर पर उतरना
बड़ा कठिन था निष्कलंक रहके यह सब करना -पुलिस अधिकारी शैलेश कुमार यादव
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है तभी होता है चमन में दीदवर पैदा- वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र सिंह
पुनीत संदेश/अंकित राठौड़
पुलिस अधिकारी शैलेश कुमार यादव का आज विदाई समारोह कार्यक्रम संपन्न हुआ, उनके कर्तव्य निष्ठा एवं ईमानदारी और जाबाजी से कायल लोगों की विदाई के समय आंखें हुई नम । उन्होंने अपने फेसबुक पर विदाई समारोह पर कमेंट करते हुए लिखा। सन 1992 से जारी सफर अपने अंजाम तक पंहुचा । राजकीय सेवा मे खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जा रहें हैं यानि जस की तस धरि दिनी चदरिया । उपलब्धियों के नाम पर केवल आकाश सी तनी छाती है हां आत्मसंतोष जरुर है कि "न दैन्यम् न पलायनम् युद्धाय कृत् निश्चयम् । न मुड़े़ न झुके हां टूटे जरुर लेकिन इसी का नाम तो जिंदगी है ।लब्बोलुबाब यह कि सेवानिवृत्त हो गये । उन्होंने कहा काजल के पर्वत पर चढ़ना चढ़कर पर उतरना ।
बड़ा कठिन था निष्कलंक रहके यह सब करना ।। उन्होंने इस सेवा प्रणाली पर तंज कसते हुए कहा
बकौल अक़बर इलाहाबादी
"बीए किये नौकर हुये
पेंशन मिली और मर गये । पुनीत संदेश प्रधान संपादक कृष्ण कुमार सिंह राठौड़ उनके सेवानिवृत होने पर उन्हें नई पारी की शुभकामनाएं देते हुए कहा, आपका जीवन प्रेरणा स्रोत रहा। आपकी सेवा पर गर्व किया जा सकता है। उन्होंने कहा यह सत्य है आप जिसके लिए डिजर्व करते रहें वह सेवाएं आपको नहीं दी गई शायद इसी को भाग्य कहते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र सिंह राठौड़ ने कहा हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है तभी होता है चमन में दीदवर पैदा। वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र सिंह उनके बहुत ही अभिन्न मित्रों में से एक है।
Created On: March 01, 2025